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balaji

“मनोजवं मारुततुल्यवेगंजितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठ ।
वातात्मजं वानर यूथ मुख्यं श्रीराम दूतं शरणं प्रपद्ये । .”

जिनकी मन के समान गति और वायु के समान वेग है जो परम जितेन्द्रिय और बुद्धिमानो में श्रेठ है उन पवन नंदन वानर ग्रन्य श्री राम दूत की में वन्दना करता हु |

हनुमान जी महाराज का अवतरण

लगभग 180 वर्ष पूर्व सेठ श्री भूरामल जी अग्रवाल के संतान नहीं थी बगीची प्रागण में संतो की मंडली पधरि हुई थी | संतो ने निर्देश दिया की इस जगह पर कुए का निर्माण करवाया जाये | संतो के निर्देश अनुसार कुआ खुदवाया गया जब कुआ आधा खुद चूका था तब सपने में आकर परिवार के सदस्यों को निर्देश दिया की खुदाई का कार्य सावधानी से करो ( मूर्ति प्रतिमा की तरफ ध्यान करवाते हुए सपना आया था ) कुए से मूर्ति प्रकट हुई थी इसी कारण कोठी वाले बालाजी कहलाये |

मंदिर में श्रद्धालुओ को उपलब्ध सुविधाए

१ भण्डरा सवामणी प्रसादी के लिए आवशयक साधन बर्तन एवं दरी पटटी की व्यवस्था |
२ बाहर से आने वाले श्रद्धालुओ को धर्मशाला में ठहरने की व्यवस्था |
३ पानी के लिए बोरिंग की सुविधा व् आपात बिजली व्यवस्था |

मंदिर मैं होने वाले विभिन्य कार्यक्रम
अखंठ रामायण मानस पाठ 28 नवम्बर 2006 से सुचारु रूप से चल रहा है !
पुरानी शैली के हेला ख्याल दंगल व् कीर्तनप्रति
विषाल फूल बंगला व् छप्पन भोग झांकी
प्रतिदिन प्रभात फेरी प्रातः 5 बजे
सामूहिक संतसंग कार्यक्रम प्रातः 8 से 9
सामूहिक सकीर्तन कार्यक्रम शाम 8 से 9